मंगलवार, 3 जुलाई 2007
बड़े काम की खोज है भइया !
मंगलवार, जुलाई 03, 2007
Unknown
8 comments
एजेंसियों के हवाले से खबर आई है कि शिकागो के जीव वै...निकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। कामयाबी यह है कि उनकी टीम ने एक बैक्टीरिया के पूरे जीनोम को बदलकर उसे दूसरी प्रजाति में तब्दील करने का कमाल कर दिखाया है। जाहिर है शिकागों के वै..निकों की यह सफलता बेहद क्रांतिकारी साबित हो सकती है। यानी दो कदम और बढ़ जायें तो कई आश्चर्यजनक परिणाम सामने आ सकते हैं। कई लोगों की कई समस्यायें दूर हो सकती हैं। काम में खामियां निकालकर अपने माताहतों पर चीखने चिल्लाने वाले बॉस टाइप के लोगों को इससे मुक्ति मिल सकती है। वह इसलिये कि अब बॉस टाइप के लोगों को जैसा कर्मचारी चाहिये होगा वो फौरन आर्डर देकर तैयार करवा लेंगे। यानी जैसा चाहिये, आर्डर दीजिये माल तैयार। ट्राई करके देखिए, पसंद न आए तो लौटा दीजिये। आखिर जमाना उपभोक्ता जागरूकता का है। एक तरीका यह भी हो सकता है कि ट्रायल के दौरान उसकी कमियां नोट करते जायें ताकि आपकी कंपलेन पर कंपनी आपके लिये तैयार किये गये प्रोडक्ट में सुधार कर सके। सच, यह तो बहुत बढ़िया हो जाएगा। जिसे जो चाहिये मिल जाएगा। डॉक्टर को बेटे के लिए डॉक्टर बहू चाहिए, मिल जाएगी। वकील के लिए वकीलन चाहिए, आर्डर दो आ जाएगी। फिल्म प्रोड्यूसर को अपनी नई फिल्म के लिए खूबसूरत हीरोईन चाहिए, नया चेहरा चाहिए? जरा हटकर चाहिए, फिक्र नॉट मिल जाएगा। बस आर्डर दो और आर्डर लिस्ट भी, जिसमें सिर्फ यह बताना होगा कि आंखें मधुबाला जैसी चाहिए या श्रीदेवी जैसी। कमर आशा पारिख जैसी हो या फिर उर्मिला मातोंडकर जैसी? डोंट वरी सब मिल जाएगा। टीवी न्यूज चैनल वालों की भी मौज, एंकर खूबसूरत होने के साथ-साथ इंटेलिजेंट भी होनी चाहिए (जो वाकई में मिलना मुश्किल है) लेकिन शिकागो के वै..निकों की क्रांतिकारी खोज से यह मुश्किल भी बेहद आसान हो जाएगी। यानी जहां तक सोचें फायदा ही फायदा। और फायदों के बारे में अब मैं कल सोचूंगा। तब तक आप भी सोचिए।
8 comments:
ye to accha hai ki sikago ke scientist ki khoj hai.lekin aap ki paresani kya hai , kafi peresan najar aate hai. vaise ye ek behtreen business idea ho sakta hai ....abhi mauka hai bolo to maal banane ki mashin lagva le ...vaise bhi patrakarita me hum larko ka bhala nahi hone vala ...kambhakt har koi 36 -24 -36 ke fare me laga hai ....kaya khayal hai...khole ek company...naam rakenge BANANE KI DUKAN ...
क्या बात है।
नरेश जी, आपका सुझाव वाकई में काबिले गौर है। मैं इस पर गंभीरता से विचार कर रहा हूं, आप भी तैयार रहें। इस विचार को मूर्तरूप देने के लिए। शुक्रिया।
उन्मुक्त जी, टिप्पणी के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
काश ये सब सच होता मेरे दोस्त. वैसे भी अमेरिका की खोज का हिंदुस्तान को फायदा होने में अभी बरसों लग जाएंगे. तब तक ऐसी खोज की खबरों से ही खुश होते रहिए...
ashok kaushik
In my opinion ur poietic work is really very good..specially
In my opinion ur poietic work is really very good..specially "Dil Par Pathhar..& Mulakaten wala.." really touching...
but satire was not sufficient.. mano Kinaron pe hi gota laga diya ho...
so keep it up...
विष्णु जी, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। कोशिश करूंगा कि और अच्छा कर सकूं।
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