गुरुवार, 19 जुलाई 2007

जंगजू

पहले...

बहुत बोलता था
आज खामोश था
वह इसलिए कि
ना आज उसको होश था
दे-देकर सबको गालियां
मोल लेता था बुराइयां
तभी तो
लोगों से पिट-पिटाकर
हड्डियां तुड़वाकर

अब...

वह निष्क्रिय सा पड़ा हुआ था
लगता जैसे मरा हुआ था
तभी मरे से उस शरीर में
हलचल थोड़ी सी हुई
हुआ अचानक खड़ा वह
अभी नहीं था मरा वह।

कल...

वह फिर मंच पर चढ़ा हुआ था।

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | Best Buy Coupons