शनिवार, 25 अगस्त 2012

मैं 'मेरी कोम' को नहीं जानता

मेरी कोम! मैं तुम्हें नहीं जानता
मैं तुम्हें नहीं पहचानता.

क्योंकि तुम फिल्मी स‌ितारों जैस‌ी चमकती नहीं हो
स‌ंज-संवर कर अदा स‌े दमकती नहीं हो.
तुम्हारी चाल 'हीरोइन' जैसी नशीली नहीं है
तुम्हारी अदा कैटरीना जैसी कटीली नहीं है.

तुम हिट फिल्म की हीरोइन की तरह नहीं इतराती.
फेयरनेस क्रीम बेचने की 'स‌ंभावनाएं' भी नहीं जगाती.
तुम्हारे चेहरे पर 'स‌ुपर मॉडल' जैसी चमक नहीं है.
तुम्हारी आवाज में 'इंडियन आइडल' जैस‌ी खनक नहीं है.

तुम अपनी कामयाबियों पर भी नहीं इठलाती.
जुल्फें स‌ंवारकर कैमरों के स‌ामने नहीं आती.
तुम्हारी कमर में 'आइटम गर्ल' वाली लचक नहीं है.
'दर्शकों' को रिझा स‌के, वो कसक नहीं है.

तुम्हें तो 'स्टार पुत्रियों' की तरह
नखरे दिखाना भी नहीं आता है.
अफसोस! तुम्हारी त्वचा स‌े
तुम्हारी उम्र का पता चल जाता है.

तुम टीवी शो में झलक भी नहीं दिखलाती.
बड़ी-बड़ी बातों स‌े लोगों को नहीं भरमाती.
रियलिटी शो के मंच पर ठुमके भी नहीं लगाती.
मर्दाना चाल चलती हो, कमर नहीं मटकाती.

तुम्हारी कहानी में सस्पेंस और थ्रिल नहीं है.
तुम किस्से गढ़ने का स्कोप नहीं दिलाती.
और तो और, तुम्हारा किसी स‌े अफेयर भी नहीं है.
वाकई तुम्हारे व्यक्तित्व में कोई ग्लैमर नहीं है.

तुम्हारे लिए देश की पब्लिक पागल नहीं होती.
औरों की तरह तुम पर तोहफों की बारिश नहीं होती.
तुम 'केबीस‌ी' में पूछे जाने वाले स‌वाल में तो हो.
लेकिन उसके बीच आने वाले 'ब्रेक' में नहीं हो.

स‌च कहूं तो तुम्हारी कोई अदा भड़कीली नहीं है.
तुम अप्सराओं की तरह खूबस‌ूरत नजर नहीं आती.
तुम महंगे-ब्रांडेड कपड़ों स‌े खुद को नहीं स‌जाती.
स‌ुंदर स्त्रियों की तरह बनाव श्रृंगार भी नहीं करती.

इसीलिए, मैं तुम्हें नहीं पहचानता
मेरी कोम तुम कौन हो? मैं नहीं जानता.
(रवींद्र रंजन--25-08-12 )

 
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