कितनी आसानी से
तुमने कह दिया
मुझे भूल जाओ।
अब अपनी जिंदगी में
किसी और को ले आओ
ये चंद अल्फाज कहते हुये
क्या तुमने नहीं सोचा
इतना आसान होता है
किसी को भूल जाना?
कोशिश करके कई बार देखा है
अब तक तो तुम्हें नहीं भूल पाया
तुम तो मेरी रग-रग में समाए हो
फिर भला मैं तुम्हें
कैसे खुद से जुदा करूं?
कैसे तुम्हें भूल जाऊं
क्या यह मुमकिन है
कि अपनी जिंदगी में
अब किसी और को ले आऊं?
1 comments:
Good and touching Poetry.
Regards Manisha
एक टिप्पणी भेजें