
कोमल, निर्मल, निश्छल, निष्काम बचपनकिसका ?...उनका, तुम्हारा या हमारा अपनाआता है बचपन जीवन में एक बार हीइसलिये संभाल कर रखना इसकोक्यों न करो कुछ ऐसाभूल न पाएं बचपन की स्वर्णिम यादें तुमकोसहेज कर रखना उन यादों कोउन बातों कोजो याद दिलाती रहें पल-पल तुमकोबचपन की, उस निर्मल, निश्छल जीवन कीयद्यपि है निश्चितयह बचपन नहीं चलेगा सदा साथ तुम्हारेवरन एक दिन ऐसा भी आयगाजब तुम खुद को समझने लगोगेसमझदार, खुद्दारआवश्यकता नहीं महसूस होगी तुम्हेंबड़े-बुजुर्गों कीउनकी सलाह की, मार्गदर्शन कीक्योंकि तुम खुद ही हो जाओगे बड़ेबेशक कैसा भी रहा हो तुम्हारा बचपनलेकिन वह अब तो बीत ही गया हैयदि हो गया है अतीत में विलीन तुम्हारा बचपनखो गया है समय के अंधकार मेंतो क्यों न अब...