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कुछ कहने से बेहतर है कुछ किया जाए, जिंदा रहने से बेहतर है जिया जाए...
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जब रोज-रोज उनसे होती मुलाकातें थीं
तब कहने को दिल में कुछ रहती नहीं बातें थीं
अब कहने को उनसे कितनी ही बातें हैं
लेकिन अब नहीं होती मुलाकातें हैं.
(1995)
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