गुरुवार, 28 जून 2007

चार लाईना

जब रोज-रोज उनसे होती मुलाकातें थीं
तब कहने को दिल में कुछ रहती नहीं बातें थीं
अब कहने को उनसे कितनी ही बातें हैं
लेकिन अब नहीं होती मुलाकातें हैं. (1995)

 
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