अम्पायर मैदान में
दौडा-दौडा आया
फिर झटपट
पिच पर उसने
स्टंप लगाया।
लो हो गया तैयार विकेट
अब खेला जायेगा क्रिकेट।
दो बल्लेबाज़
जो दिखते थे उस्ताद
बैट लेकर दौड़ते आये।
किस्मत पर अपनी इतराए
एक ने आकर बैट जमाया
दूजा रनर बनकर आया।
गेंदबाज
गेंद लेकर घिसता आया
अपनी की रफ्तार तेज़
गेंद दी तेज़ी से फ़ेंक
बल्लेबाज़ संभला
घुमाया बल्ला मारा छक्का
गेंदबाज यह देखकर
गया हक्का-बक्का।
तब, दर्शक दीर्घा से
तालियों की आवाज आयी
गेंद की होने लगी धुनाई
देखते ही देखते
स्कोर बोर्ड पर
रनों का अम्बार हो गया
दर्शक बैठे खुश होते थे
क्रिकेट का दीदार हो गया।
जिधर भी देखो क्रिकेट-क्रिकेट
क्रिकेट का बुखार हो गया
क्रिकेट चाहे जिस दिन भी हो
वह दिन तो इतवार हो गया.(1994)
2 comments:
1994 लिखा है तो क्या यह 1994 की रचना है?
jee han, ravi jee ye meri 1994 ki hi rachnaa hai.
ravindra ranjan
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