ज़ुरासिक पार्क में दो ड़ायनासोर
आपस में करते थे बातचीत
भाई, आज के आदमी के भी क्या कहने
जो प्रगति के नाम पर
पर्यावरण प्रदूषित कर
जंगलों को काटकर
वर्तमान में जीवित प्राणियों के
अस्तित्त्व को मिटाता है
वहीँ अतीत में...
विलुप्त हो चुके प्राणियों का
तरह-तरह से अनुसंधान कर
उन्हें जीवित करने का प्रयास करता है
तो कभी उनकी अस्थियाँ खोजकर
उनका आकार बनता है
जीवित पर अत्याचार
और विलुप्त पर इतना प्यार
ये कैसे अजीब पहेली है
हम ड़ायनासोर की तो
कुछ समझ में नहीं आता है।(1994)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें