इस कहानी के दो अहम किरदार हैं। एक हाईप्रोफाइल और रसूखदार है, जो इस कहानी का खलनायक है। दूसरा पीड़ित है और एक अदना सा पत्रकार है, जो अब इस दुनिया में नहीं है। कहानी राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के एक जाने माने डॉक्टर और एक छोटे से अखबार में काम करने वाले पत्रकार के बीच अदावत की है। तारीख 16 अगस्त, 2007 थी। सुबह के करीब नौ बज रहे थे। नोएडा के सेक्टर 71 में रहने वाले महेश वत्स शायद अखबार के काम से ही घर से निकले थे।
चश्मदीदों के मुताबिक पहले तो एक कार वाले ने उनके स्कूटर पर टक्कर मारी और फिर उस कार वाले समेत कई लोगों ने मिलकर लाठी और लोहे के रॉड से महेश वत्स पर कई वार किए। महेश के स्कूटर को टक्कर मारने वाले शख्स का नाम था डॉ. वीपी सिंह। डॉ. वीपी सिंह नोएडा के मशहूर अस्पताल के मालिक हैं। डॉक्टर साहब पर सिर्फ पत्रकार महेश वत्स के साथ मारपीट का ही इल्जाम नहीं है, बल्कि इल्जाम ये भी है कि वो मारपीट के बाद जख्मी हुए महेश वत्स को अपने दो गुर्गों की मदद से उठाकर अपने अस्पताल ले गए और अज्ञात जगह पर छिपा दिया। हालांकि इस घटना की खबर जब नोएडा पुलिस को मिली तो पुलिस ने प्रयाग अस्पताल पर छापा मारा और वहां से महेश वत्स की लाश को बरामद कर लिया।
उस वक्त पुलिस ने डॉ. वीपी सिंह के खिलाफ महेश वत्स के अपहरण का मामला दर्ज किया था। लेकिन डॉ. वीपी सिंह अपने रसूख और पहुंच की वजह से बचते रहे। इसके बावजूद महेश वत्स के परिवारवालों ने हार नहीं मानी। वो यह सोचकर कानून की लड़ाई लड़ते रहे कि एक न एक दिन उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा। अभी उनकी ये लड़ाई अंजाम तक तो नहीं पहुंची है लेकिन इंसाफ का आगाज जरूर हो चुका है। गौतम बुद्ध नगर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने डॉ. वीपी सिंह को महेश वत्स के खिलाफ साजिश रचने और अपहरण करके उनकी हत्या करने का दोषी पाया है। कोर्ट ने नोएडा पुलिस को आदेश दिया है कि वो धारा 302, 364 और 120बी के तहत डॉ. वीपी सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे।
एक पत्रकार की हत्या के इस मामले में सबसे अहम बात ये है कि महेश वत्स के डॉ. वीपी सिंह से पारिवारिक रिश्ते थे। अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि डॉ. वीपी सिंह उनकी जान के दुश्मन बन गए। मुमकिन है कि महेश वत्स को डॉ. वीपी सिंह का कोई ऐसा राज मालूम हो गया हो, जिसे वो फाश करने की तैयार कर रहे हों। ये भी हो सकता है कि दोनों के बीच किसी बात को लेकर सौदेबाजी चल रही हो और बात बनने की बजाय बिगड़ गई है। इसीलिए शायद डॉ. वीपी सिंह ने महेश वत्स को सबक सिखाने के लिए दूसरा तरीका निकाला और हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटा दिया। हालांकि पत्रकार महेश वत्स की हत्या का सच क्या है। ये अभी भी पूरी तरह सामने नहीं आ पाया है।
इस सवाल का जवाब अब भी नहीं मिल पाया है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि डॉ. वीपी सिंह ने पत्रकार महेश वत्स की हत्या कर दी? महज एक्सीडेंट की घटना या उसकी वजह से हुआ कोई विवाद कत्ल की वजह नहीं बन सकता। वो भी तब जब महेश वत्स से उनके पारिवारिक संबंध थे। यानी कत्ल की इस कहानी में कुछ न कुछ ऐसा जरूर है जो अभी सामने आना बाकी है। डॉ. वीपी सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने और मामले की जांच करते वक्त नोएडा पुलिस को इन सभी पहलुओं पर भी गौर करना होगा।
1 comments:
उम्मीद करते हैं कि पत्रकार को न्याय मिले। लेकिन बहुत अफसोस होता है ये जानकर कि दुनियाभर के लोगों के लिएक हक की लड़ाई लड़नेवाले पत्रकार के साथ ही इस तरह की घटनाएं होती है।।.
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