अचानक उसकी आवाज तेज हो जाती है। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगता है। अभी तक विजुअल क्यों नहीं आए। रिपोर्टर ने स्क्रिप्ट क्यों नहीं भेजी। कैसे खबर चलेगी। फिर अचानक वह अपनी कुर्सी से उठकर इधर-उधर भागने लगता है।
यह देखते ही ऑफिस में सबको पता चल जाता है कि बॉस आ चुके हैं। जब भी बॉस न्यूज रूम में प्रवेश करते हैं कमोबेश ऎसा ही होता होता है। कभी कोई विजुअल नहीं चल पाता (?) कभी कोई पैकेज रुक जाता है। ऎसा लगता है जैसे सभी समस्याओं का बॉस से कोई नजदीकी रिश्ता है। लेकिन न्यूज रूम में सबको पता है कि ऎसा क्यों होता है। अगर चुपचाप काम होता रहेगा तो बॉस को पता कैसे चलेगा कि काम हो रहा है। इसीलिए यह तरीका बड़ा कारगर है। बॉस को भी यही लगता है कि देखो बेचारा कितना टेंशन में है। कितना काम करता है। कितना बोझ उठाता है। प्रोड्यूसर न हुआ गधा हो गया। जब देखो तब पूरे चैनल का बोझ उठाए इधर से उधर भागता रहता है। अगर वह न हो तो शायद चैनल ही बंद हो जाए। इसलिए न्यूज रूम में उसकी मौजूदगी बहुत अहम है। अगर वह न चिल्लाए तो शायद कोई खबर ही न चल पाए। अगर वह न चीखे तो शायद उस चैनल में कभी कोई खबर ही ब्रेक न हो। वाकई वह बहुत काम का आदमी है।
बॉस को देखते ही वह बहुत व्यस्त हो जाता है। कभी फोन पर चीखता है। कभी जूनियर्स पर चिल्लाता है। कभी सिस्टम पर गुस्सा उतारता है। वह न्यूज चैनल का प्रोड्यूसर है। एक्टिव इस कदर है कि कई बार तो उसके लिए पूरा फ्लोर छोटा पड़ जाता है। जब वह भागता है तो लगता है कोई आसमान गिरने वाला है। कुछ लोग उससे बहुत जलते हैं। कुछ इसलिए जलते हैं क्योंकि वह उसकी तरह नहीं भाग पाते। कुछ इसलिए जलते हैं क्योंकि मजबूरन उन्हें भी इधर-उधर भागने का नाटक करना पड़ता है। लेकिन भागना हमेशा फायदेमंद है। जो भागता है उसे एक्टिव प्रोड्यूसर माना जाता है। जो चिल्लाता है वह बॉस की नजरों में चढ़ जाता है। उसके नंबर बढ़ जाते हैं। जो चुपचाप की-बोर्ड पीटता रहता है या फिर कंप्यूटर पर आंख गड़ाए रहता है, उसे ढीले-ढाले प्रोड्यूसर के खिताब से नवाजा जाता है।
वह सब जानता है इसीलिए थोड़ी-थोड़ी देर में यहां-वहां भागता रहता है। इससे ऎसा लगता है कि चैनल भाग रहा है, दौड़ रहा है। न्यूजरूम में खामोशी से ऎसा लगता है जैसे चैनल भी खामोश हो गया है। अचानक वह चीखता है और टीवी के सामने खड़ा हो जाता है। अरे, यह देखो फलां चैनल में क्या चल रहा है। यह खबर हमारे पास क्यों नहीं आई? उसके बाद ऎसा माहौल बन जाता है कि जैसे उस खबर के बिना चैनल बंद हो जाएगा। फोन खड़खड़ाए जाने शुरू हो जाते हैं। एक आदमी इंटरनेट पर खबर को खंगालना शुरू कर देता है। तो कोई यू ट्यूब पर विजुअल के जुगाड़ में लग जाता है और कोई रिपोर्टर को गरियाने में। बाद में पता चलता है कि वह खबर तो हमारे यहां तीन दिन पहले ही चल चुकी है।
महेश अभी चैनल में नया-नया आया है। जब भी स्मार्ट प्रोड्यूसर इधर से उधर भागता है तो वह हर बार बस यही सोचता है कि आज तो आसमान गिर ही जाएगा। लेकिन उसे मायूसी ही हाथ लगती है। आसमान कभी नहीं गिरता। स्मार्ट प्रोड्यूसर आसमान को हर बार अपने हाथों से थाम लेता है औऱ इस तरह हर बार एक मुश्किल टल जाती है। चैनल बच जाता है। चैनल उसी के दम पर तो चलता है। जिस दिन वह भागना औऱ चिल्लाना बंद कर देगा उसी दिन चैनल बंद हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि वह भागता रहे औऱ चैनल बदस्तूर चलता रहे। आमीन।
9 comments:
वाह क्या विजुअल उतारा है आपने ..यही हाल मनोरंजन चैनल का भी है ऐसे लोग बौस को झांसा देने में कामयाब होते रहते हैं और जिनमे काम का माद्दा हो भी पर अगर वो काम कराने का ड्रामा करना नहीं जानते वो यहाँ भी पीछे रह जाते हैंंआमीन
परफ़ेक्ट लाईव रिपोर्टिंग की है आपने।
बहुत सही खाका खींचा है नालायक मगर चालाक प्रोड्यूसर का।
media par jab jab aap lekhani chalaate hai.n vo alag andaaz me hoti hai....! khoob
बहुत अच्छे ढंग से चित्रण किया है। पर अपने प्रोड्यूसर को पता ना चलने देना वर्ना अगली बार आसमान नहीं तुमको उठा लेगा। मजाक कर रहा हूं अच्छा लिखा है।
इस कहानी की अगली किश्त कब लिख रहे हैं ?
- आनंद
वाह क्या बात है... स्मार्ट प्रोड्यूसर अगर पढ़ लें तो लजा जाएं... ढीले-ढाले प्रोड्यूसर पढ़ लें तो उन्हें थोड़ा सुकून मिल जाए कि कुछ लोग इस ड्रामे की हकीकत से वाकिफ हैं... क्या खूब... शुक्रिया और बधाई...
Boss is always Boss and he is always right.
Jolly Uncle
www.jollyuncle.com
One god knows!
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