बचपन में एक अखबार में पढ़ी थी यह बाल कविता। कविता लंबी थी और अच्छी भी। लेखक का नाम तो नहीं याद लेकिन उसकी कुछ पंक्तियां मुझे अब भी याद हैं। आपसे यह सुंदर कविता इसलिए बांट रहा हूं कि अगर किसी को लेखक का नाम पता हो तो जरूर बताएं साथ ही पूरी कविता मिल जाए तो और भी अच्छा। तो पढ़िये यह कविता।
एक गधा चुपचाप खड़ा था
एक पेड़ के नीचे
पड़ गए कुछ दुष्ट लड़के उसके पीछे
एक ने पकड़ा कान
दूसरे ने पीठ पर जोर जमाया
और तीसरे ने उस पर
कस कर डंडा बरसाया
आया गुस्सा गधे को
दी दुलत्ती झाड़
फौरन लड़के भागे
खाकर उसकी मार।
5 comments:
वाह भाई गधे का गुस्सा जायज था तभी तो उसने दुल्लत्ति चलाई . पढ़कर बचपन याद आ गया. धन्यवाद.
पहली बार पढ़ी कुछ पता चलते ही आगे मिलता हूँ
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good bhai
kafi gehri pakar hai aapki
jindagi ka kafi tajurba hai
सुंदर .
कभी कभी बचपन में कोई बात इतने दिनों तक याद रह जाती है.
बचपन बेहद संवेदनशील होता है.
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