गुरुवार, 24 जनवरी 2008

जेल की सलाखों को तुम्हारा ही इंतजार था ब्रजेश !


कुछ लोग मजबूरन गुनाह करते हैं और कुछ लोग जानबूझकर। जानबूझकर गुनाह करने वाला हर इंसान यह अच्छी तरह जानता है कि उसकी आखिरी मंजिल जेल की सलाखें ही हैं। इसके बावजूद रातोंरात दौलत और रसूख की चाह लोगों को गुनाह की दुनिया अपनी तरफ खींच ही लेती है। कुछ ऐसी ही है उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया की दास्तां। नाम है ब्रजेश सिंह। पहले शराब माफिया फिर कोल माफिया और अब ड्रग माफिया...ब्रजेश सिंह ने जहां भी हाथ आजमाया वहीं कामयाबी उसके कदम चूमने लगी। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि ब्रजेश सिंह ये अच्छी तरह समझ चुका था कि सियासी गलियों में कदम जमाकर वो सब कुछ आसानी से हासिल किया जा सकता है, जो वह हासिल करना चाहता है।

बस इसी सूत्र वाक्य पर चलकर वह बन गया उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा माफिया। तकरीबन बीस साल से पुलिस को चकमा दे रहा ब्रजेश सिंह अब कानून की गिरफ्त में आ चुका है। उत्तर प्रदेश के इस मोस्टवांटेड क्रिमिनल को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और उड़ीसा पुलिस की स्पेशल सेल ने बृहस्पतिवार को भुवनेश्वर के बड़ा बाजार इलाके से गिरफ्तार किया है। पुलिस को इस खतरनाक अपराधी की कई संगीन मामलों में तलाश थी। ब्रजेश के खिलाफ अदालतों से जारी कई वारंट जारी हो चुके हैं। लेकिन खास बात ये है कि अगर ब्रजेश पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ता तो किसी को ये तक नहीं पता चलता कि वह जिंदा भी है या नहीं।

तकरीबन बीस साल से उत्तर-प्रदेश पुलिस को चकमा दे रहे ब्रजेश सिंह ने वह हर गुनाह किया जिसे कानून की नजर में संगीन कहा जाता है। हत्या, अपहरण और तस्करी के बल पर अपराध की दुनिया में अपना दबदबा कायम करने वाले ब्रजेश सिंह को पूर्वी उत्तर-प्रदेश में आतंक का दूसरा नाम कहा जाता है। यहां तक ब्रजेश के गुर्गे पुलिस को भी निशाना बनाने से नहीं चूकते थे। अपने दबदबे और काली कमाई के बल पर इन दो दशकों में ब्रजेश सिंह ने राजनितिक गलियारों में भी अपनी जबर्दस्त पैठ बना ली थी। कहा जाता है कि भाजपा के रास्ते अपने भाई चुलबुल सिंह को विधान परिषद सदस्य बनवाने में भी ब्रजेश का ही हाथ था। अपराध और सियासत की दुनिया में ब्रजेश के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने मऊ के माफिया और समाजवादी पार्टी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को भी चुनौती दे डाली। नतीजा ये हुआ कि 2001 में दबदबे की इस लड़ाई ने तब बेहद खतरनाक शक्ल अख्तियार कर ली, जब दोनों गुटों के बीच हुये गैंगवार में कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

हैरानी की बात तो ये है कि ब्रजेश की तलाश में तीन राज्यों की खाक छान रही पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं थी कि वह उड़ीसा में छिपा हुआ है। अब पुलिस के लिये उसकी गिरफ्तारी को एक बड़ी कामयाबी मानना लाजिमी है। नब्बे के दशक में ब्रजेश ने लोहे के कबाड़ का कारोबार शुरू किया था। कहा जाता है कि इस कारोबार में जिसने भी ब्रजेश सिंह का साथ दिया उसने आगे बढ़ने के लिये उन्हें ही रास्ते से हटा दिया। उन्हीं में एक नाम था वीरेंद्र सिंह टाटा। वीरेंद्र की हत्या का इल्जाम ब्रजेश सिंह पर ही है। शराब औऱ कोयले की तस्करी में हाथ आजमाने वाले ब्रजेश को इलाके में अफीम की तस्करी का सबसे बड़ा माफिया कहा जाता है। कहा जाता है कि ब्रजेश सिंह कुख्यात डॉन दाउद इब्राहिम के लिये भी काम करता था। इतना ही नहीं 1992 में जब दाउद के सबसे बड़े दुश्मन छोटा राजन पर हमला हुआ तो उसमें भी ब्रजेश सिंह का ही नाम सामने आया था।

सिर्फ उत्तर-प्रदेश ही नहीं, ब्रजेश सिंह ने अपना कारोबार बिहार और झारखंड में भी फैला रखा था। ब्रजेश की दहशत इस कदर थी कि उसकी इजाजत के बगैर इलाके में कोई अपना धंधा शुरू नहीं कर सकता था। यही वजह थी कि इन इलाके में दो नंबर का धंधा करने वाले तय वक्त पर ब्रजेश सिंह का हिस्सा उस तक पहुंचा देते थे। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक ब्रजेश सिंह के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश और अपहरण समेत दो दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई मामलों में उसके खिलाफ अदालतों से वारंट जारी हो चुके हैं। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि आज से पहले तक किसी को ये भी नहीं मालूम था कि ब्रजेश जिंदा भी है या नहीं। (जारी...)

3 comments:

बेनामी ने कहा…

विवरण से ज्यादा यह अपराध का महिमामण्डन लगता है.टीवीवालों की तरह.

Unknown ने कहा…

Hii

Unknown ने कहा…

टिप्पणी

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | Best Buy Coupons