दोस्तों, मुझे नहीं मालूम की इस आरती का लेखक कौन है। यह आरती मुझे ईमेल से मिली। जिसने भी इसे लिखा है वह बधाई का पात्र है। यह रचना दूसरों तक भी पहुंचे, इसीलिये इसे मैं साभार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। पढ़िये और टिप्पणी कर उस अनाम लेखक का उत्साहवर्धन कीजिये।
Posted in: कविता
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5 comments:
हा! हा! हा!
सुंदर आरती है.
प्रस्तुत करने के लिए आपको साधुवाद.
गूगल आरती बढ़िया. लगी हो सके तो गूगल पुरान भी उपलब्ध कराए , आपके साथ साथ अनाम रचनाकार को बधाई
भाई यह तो लिखा नही ,दिन मे आरती कितनी बार करनी,ओर गंगा जल सीधा मोनिटोर पर डलना हे या पी सी पर.अनाम महाराज ओर आप को प्र्णाम
बाल किशन जी अनाम लेखक को भी साधुवाद दे दीजिये। महेंद्र जी गूगल पुराण उपलब्ध कराने की कोशिश करूंगा, तब तक आरती से ही काम चलायें। राज जी, आरती दो बार करनी है सुबह और शाम। गंगा जल मॉनीटर पर नहीं सीपीयू में डालना है वह भी अंदर...हा हा हा। शुक्रिया दोस्तों।
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