शनिवार, 6 मार्च 2010

बीबीसी मुझे माफ करना, मैं हिंदुस्तानी हूं

मेरा कसूर सिर्फ इतना था कि मैंने बीबीसी की भाषा को लेकर एक सवाल उठाया था। सवाल यह था कि दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी और इंसानियत का दुश्मन ओसामा बिन लादेन सम्मान का हकदार कैसे? अभी तक तो हमने यही सुना है कि व्यक्ति के कर्म ही उसे महान बनाते हैं। कर्म ही सम्मान का हकदार बनाते हैं। लेकिन बीबीसी के लिए एक आतंकवादी भी सम्मानित है। कल्पना कीजिए कि अगर मुंबई हमले का गुनहगार आमिर अजमल कसाब बीमार हो जाए तो उसके बारे में लिखी गई बीबीसी की खबर का शीर्षक क्या होगा। शायद वह लिखेगा, 'बीमार हैं कसाब' या फिर 'बीमार हुए कसाब'। अब आप सोचिए कि कसाब के बारे में ऐसा संबोधन पढ़कर एक हिंदुस्तानी को कैसा लगेगा? हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें बीबीसी के इन भाषाई तौर-तरीकों...

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

'फिदा' के जाने पर ये स्यापा क्यों?

-कुंदन शशिराजमकबूल कतर जा रहे हैं। अब वहीं बसेंगे और वहीं से अपनी कूचियां चलाएंगे.. ये खबर सुनकर हिंदुस्तान में कुछ लोगों को बड़ा अफसोस हो रहा है। इस गम में वो आधे हुए जा रहे हैं कि कुछ अराजक तत्त्वों के चलते एक अच्छे कलाकार को हिंदुस्तान छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस पूरे ड्रामे को देखकर उन तथाकथित सहिष्णु लोगों पर हंसी, हैरानी और गुस्सा आता है। 95 साल का एक बूढ़ा जो अब तक आम लोगों की भावनाओं को अपनी कला के जरिये ठेंगे पर दिखाने की कोशिश करता आया है, जब वो खुद अपनी मर्जी से, अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए हिंदुस्तान छोड़ कर जा रहा है तो फिर ऐसे लोगों का कलेजा भला क्यों फट रहा है..? क्यों.. क्योंकि उनके पास आधी-अधूरी जानकारी है। ऐसे लोगों...

पत्रकार के कातिल डॉक्टर पर कानून का शिकंजा

इस कहानी के दो अहम किरदार हैं। एक हाईप्रोफाइल और रसूखदार है, जो इस कहानी का खलनायक है। दूसरा पीड़ित है और एक अदना सा पत्रकार है, जो अब इस दुनिया में नहीं है। कहानी राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के एक जाने माने डॉक्टर और एक छोटे से अखबार में काम करने वाले पत्रकार के बीच अदावत की है। तारीख 16 अगस्त, 2007 थी। सुबह के करीब नौ बज रहे थे। नोएडा के सेक्टर 71 में रहने वाले महेश वत्स शायद अखबार के काम से ही घर से निकले थे।चश्मदीदों के मुताबिक पहले तो एक कार वाले ने उनके स्कूटर पर टक्कर मारी और फिर उस कार वाले समेत कई लोगों ने मिलकर लाठी और लोहे के रॉड से महेश वत्स पर कई वार किए। महेश के स्कूटर को टक्कर मारने वाले शख्स का नाम था डॉ. वीपी सिंह। डॉ. वीपी सिंह...

रविवार, 17 जनवरी 2010

बीबीसी की इस पत्रकारिता को स‌लाम!

बीबीस‌ी हिंदी डॉट कॉम में प्रकाशित इस रिपोर्ट में किसी रिपोर्टर का नाम तो नहीं है, लेकिन जिसने भी इस खबर को लिखा है उसके हाथ चूम लेने को जी चाहता है। यकीन मानिए मैंने तो जबसे ओसामा बिन लादेन जैसी 'महान' शख्सियत के बारे में ये रिपोर्ट पढ़ी है और बीबीस‌ी हिंदी की वेबसाइट पर स‌जी 'उनकी' तस्वीरों को देखा है तभी स‌े मैं बीबीसी की पत्रकारिता पर अभिभूत हूं। खबर का शीर्षक देखकर ही ओसामा की 'महानता' का एहसास हो जाता है। शीर्षक है- 'क्या ऎसे दिखते होंगे लादेन?' आप स‌मझ स‌कते हैं कि लादेन बीबीसी के लिए कितनी 'स‌म्मानित' शख्सियत हैं। आगे की पंक्ति पर गौर फरमाएं। रिपोर्टर लिखता है-ख़ुफ़िया एजेंसियाँ वर्षों से ये दावा कर रही हैं कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान...
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