रविवार, 21 सितंबर 2008

लिटरेचर इंडिया का लोकार्पण

मौका था सॉफ़्टवेयर फ्रीडम डे और हिंदी पखवाड़े का। इस मौके पर शनिवार को लिटरेचर इंडिया की हिन्दी वेब पत्रिका ( www.literatureindia.com/hindi/)का लोकार्पण हुआ। साहत्यिक एवं सांस्कृतिक पोर्टल लिटरेचर इंडिया दो भाषाओं में हैं अंग्रेजी और अब हिंदी। खास बात यह थी कि इस वेब पत्रिका का लोकार्पण पूरी तरह से इंटरनेट पर हुआ। यह पहला ऐसा कार्यक्रम था जिसके तहत किसी पोर्टल का लोकार्पण पूरी तरह ऑनलाइन हुआ। वेब पत्रिका का लोकार्पण शनिवार शाम irc.freenode.net सर्वर पर स‌राय सभागार में हुआ। सराय दिल्ली की मशहूर संस्था सराय (www.sarai.net) का आईआरसी फ्रीनोड पर पंजीकृत चैट रुम है। कवि, पत्रकार एवं अऩुवादक नीलाभ ने इस पोर्टल का लोकार्पण किया। इतिहासकार एवं लेखक रविकांत ने इस अवसर पर पत्रिका के कांसेप्ट को स‌ामने रखा। आईआरसी पर हुए इस कार्यक्रम में कई जाने-माने लोगों ने शिरकत की। संचालन व्यंग्यकार एवं तकनीकी अनुवादक रवि रतलामी ने किया। 

इस मौके नीलाभ ने खासतौर पर तकनीक एवं भाषा के अंतर्विरोधों को रेखांकित किया। नीलाभ ने कहा कि तकनीक के धुरंधर जहां भाषाई ज्ञान से अछूते हैं, वहीं हिन्दी के बुद्धिजीवी तकनीक से दूर भागते नजर आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजीदां लोगों को हिन्दी की उन दिक्कतों से रू-ब-रू होना होगा जो तकनीक को लेकर पैदा होती हैं। उदाहरण के तौर पर हँसना हंस से अलग है और हमें मानकीकरण की इन दिक्कतों से लड़ने की जरूरत है। नीलाभ का कहना था कि महज एक ऐतिहासिक संयोग की वजह से हम अंग्रेजी में काम करते हैं। हिन्दी किसी से पीछे नहीं है। हमें खुद ताकत हासिल करनी होगी।
रविकांत ने कहा कि इस पोर्टल का द्विभाषी होना अपने आप में खास बात है। अंग्रेजी में हिन्दी भाषी लोग कम लिखते हैं और अगर यह पोर्टल वह सेतु बन सके जो दोनों भाषाओं के बीच संवाद को बढ़ा सके तो काफी बेहतर होगा। जहां लोग हिन्दी की दुनिया की खबरों से वाकिफ हो सकें। उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजी में हिन्दी साहित्यकारों के नाम से सर्च करें तो आप काफी कम हासिल कर पाएंगे। हमें उम्मीद है कि यह पोर्टल इस कमी को पूरा कर पाएगी।
स्वागत वक्तव्य में लिटरेचर इंडिया की संपादिक संगीता ने कहा कि अभी पितृ-पक्ष चल रहा है, लिहाजा हम अपने साहित्य पित्तरों को लिटरेचर इंडिया तर्पण करते हैं। आखिर में शैलेश एवं अभिव्यक्ति व अनुभूति जैसी सफल वेब पत्रिका हिन्दी में चलाने वाली पूर्णिमा ने कविता पाठ किया। इस बीच प्रश्नोत्तर का भी दौर चला। इसमें सार्वजनिक रूप से कंटेंट निर्माण की ओर आगे बढ़ने की बात की गई। चैट पर यह कार्यक्रम करीब पौने दो घंटे चलता रहा। इस कार्यक्रम में करूणाकर, पूर्णिमा, गोरा, देवाशीष, मसिजीवी, संजय बेगाणी, सदन, शैलेश, उमेश चतुर्वेदी, राकेश, जितेन, अमनप्रीत, राजेश सहित कई लोग शामिल हुए।

5 comments:

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा रिपोर्ट पढ़कर.

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्छी बात हुई.......इसमें जुड़े सभी लोगों को बहुत बहुत बधाई।

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

he bhai ye vahi patrika to nahi hai na jisme aap ne hamri kavit prakashit hone ki suchana di thi...??? :) :) :)

सोतड़ू ने कहा…

यहां भी सन-सन कर रहे हो भाई....

फ़िल्म सिटी का कुत्ता विशेष रूप से अच्छी लगी

सोतड़ू ने कहा…

यहां भी सन-सन कर रहे हो भाई....

फ़िल्म सिटी का कुत्ता विशेष रूप से अच्छी लगी

 
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