आपका जन्म कब और कहां हुआ?
-मुझे ठीक-ठीक तो नहीं मालूम, किंतु मेरे दादा, परदादा कहा करते थे हम सीधे स्वर्ग से उतरे हैं। और जहां तक हमारे जन्म के समय की बात है तो निश्चय ही वह कोई शुभ घड़ी रही होगी।
जैसा कि आपने बताया कि आपका आगमन स्वर्ग से हुआ है, तो क्या अब आज के हालात में आपको दोबारा मृत्युलोक छोड़कर स्वर्ग जाने का मन नहीं करता?
-करता तो बहुत है, लेकिन धरती पर भी तो हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं। अब एकदम से उनसे मुंह मोड़ना भी तो ठीक नहीं लगता और फिर, हमारा मालिक भी तो इतना कड़क और निर्दयी है हम कहीं इधर-उधर जाने की सोच भी नहीं सकते। अगर कोशिश भी करते हैं तो उसे पता नहीं कहां से पहले ही खबर हो जाती है। हर जगह उसने अपने जासूस छोड़ रखे हैं।
तो आप सब मिलकर एक पार्टी गठित करके स्वयं ही क्यों नहीं मालिक बन जाते?
-यह भी कोशिश की थी हमने, किंतु पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया। हमारे कुछ साथी लालचवश मालिकों से जा मिले और कुछ दल बदलू निकले।
तो आप किसी अन्य दल से गठबंधन क्यों नहीं कर लेते?
-हां, इस पर हम विचार-विमर्श कर रहे हैं। हम देख रहे हैं कि किस दल की सोच हमारी सोच है और उसका वोट बैंक कितना है।
आपकी पार्टी का चुनाव चिह्न क्या है?
-आदमी
बड़ा अजीब चुनाव चिह्न है। आपको तो अपनी ही बिरादरी से कोई चुनाव चिह्न रखना चाहिए था।
-लगता है इस क्षेत्र में आपकी जानकारी थोड़ी कम है। अरे जब हमारे पड़ोसी देश के मनुष्यों की एक पार्टी हमें अपना चुनाव चिह्न बना सकती है तो फिर हम उन्हें क्यों नहीं।
आपकी पार्टी के मुद्दे क्या होंगे?
-यही कि हमें भी समाज में अन्य जानवरों मसलन गाय, भैंस जैसा स्थान मिले। रिटायर्ड गधों को पेंशन और हमारी नई पीढ़ी को आरक्षण की सुविधा मिले।
यदि मनुष्यों की पार्टी ने सरकार बनाने के लिए आपकी पार्टी का समर्थन मांगा तो आपका क्या रवैया रहेगा?
-हम उन्हें मुद्दों पर आधारित समर्थन देंगे। अपने मुद्दे हम पहले ही बता चुके हैं। बाकी समय आने पर मिल-बैठकर तय कर लेंगे।
ऎसे में क्या आपकी पार्टी सरकार में शामिल होगी?
-नहीं, हम सरकार को बाहर से समर्थन करेंगे। क्योंकि मनुष्यों के साथ काम करने में हमारे लोगों को मुश्किल होगी। वो बातों से काम लेते हैं और हम लातों से। मनुष्यों में चापलूसी की बीमारी भी बहुत ज्यादा होती है। जो हमें कतई पसंद नहीं। ऎसे में उन्हें हमारी कार्यशैली शायद पसंद न आए।
मान लीजिए आप अकेले सत्ता में आ जाएं तो वर्तमान व्यवस्था में क्या फेरबदल करेंगे?
-बहुत कुछ बदलना होगा। सबसे पहले तो आवास विकास और भवन निर्माण से संबंधित सभी विभागों के कार्य की दिशा में परिवर्तन लाएंगे। इंजीनियरों को मकान गिराकर बड़े-बड़े मैदान बनाने और वहां पर्याप्त मात्रा में हरी-हरी विलायती घास लगवाने का काम सौंपा जाएगा। हम कॉलोनियों को हरे-भरे मैदानों में तब्दील करवा देंगे। ताकि हमारे भाई-बंधु मुफ्त में ही वहां उच्च क्वालिटी की घास चर सकें। एक चारा विभाग का भी गठन हम करेंगे। इसके अलावा अन्य जरूरी विधेयक भी पेश किए जाएंगे।
यह सब तो ठीक है, किंतु गधा रहेगा गधा सदा, इस पर आप क्या कहेंगे?
-आपके इस सवाल की वजह मैं समझ सकता हूं (नाराज होते हुए) आप इंसानों को अपनी कुर्सी छिनती नजर आ रही है, इसीलिये व्यक्तिगत कमेंट पर उतर आए। लेकिन हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम गधे हैं तो गधे ही रहेंगे। हम इंसान बन कर अपनी तौहीन भी नहीं कराना चाहते। हम उनमें से नहीं हैं जो दूसरों की संस्कृति से प्रभावित होकर अपनी भाषा, संस्कार, पहनावा यहां तक कि अपनी पहचान तक खो देते हैं। हां, कुछ मूर्ख वैज्ञानिक जरूर हमारी पहचान को नष्ट करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं, लेकिन करने दीजिए। हम भी कुछ कम नहीं। आखिर गधे हैं हम और रहेंगे सदा।
छोड़िए कोई और बात करते हैं। अच्छा, जरूरत पड़ने पर गधे को भी अपना बाप बनाना पड़ता है, इस पर आपके क्या विचार हैं?
-विचार की क्या बात है, आपके समाज में मनुष्य की एक विशेष प्रजाति है। उसे नेता कहते हैं। अक्सर सुनने में आता है कि अमुक नेता ने आज फलां पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली, तो फिर कल फिर दल बदल लिया। सब जरूरत की दुनिया है। जरूरत पड़ी तो...मेरा आशय समझ गए होंगे आप...। हम भी वैसा ही करेंगे।
यदि कोई आदमी दूसरे आदमी को गधा कह दे और आप सुन लें तो क्या प्रतिक्रिया रहेगी आपकी?
-(नराजगी से) यह हम कतई नहीं बर्दाश्त करेंगे कि कोई हमारी तुलना आदमियों से करे। यह तो सरासर हमारा अपमान है। आखिर हमारी भी कोई पहचान है, अपना स्टेटस है।
अच्छा यह बताइए, गधे कितने प्रकार के होते हैं?
-सिर्फ दो प्रकार के। देशी और विलायती।
विदेशी और देशी गधे में क्या फर्क है?
-बहुत फर्क है। विदेशों में मात्र चार पैर वाले गधे पाए जाते हैं, जबकि हमारे देश में 'चार से कम' पैर वाले गधे बहुतायत में मिलते हैं। विदेशी गधों के मुकाबले देशी गधे अधिक चतुर और समझदार होते हैं।
वह कैसे?
-यह तो आपको इलेक्शन के पश्चात पता चल ही जाता है।
कुछ लोगों का कहना है कि भारत आपकी सरजमीं नहीं है?
-(तीव्रता से आक्रोश में) झूठ कहते हैं वो। यही हमारी सरजमीं है। और यहीं हम सबसे अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहीं हमारी कौम सबसे ज्यादा सुरक्षित है औऱ यहीं उसका भविष्य सबसे ज्यादा उज्ज्वल है।
9 comments:
ढ़ेचूं ढ़ेचूं.... :)
hah hahaaa
kya bolun..dil kush kar diya apney ..
रवीन्द्र जी
बहुत अच्छा लिखा है। हास्य व्यंग्य से पूर्ण साक्षात्कार के लिए बधाई।
बहुत बेहतरीन-एकदम सटीक. आनन्द आ गया.
मस्त :-)
कुन्नु सिह नही रहे
ye hui na baat..mast interview
प्रशांत जी, कीर्ति जी,शोभा जी, समीर जी, दीपक जी और मेरे आशियाने की नियमित पाठक कंचन जी, उत्साहवर्धन के लिये आप सब का बहुत-बहुत शुक्रिया। आभारी हूं आप सबका तहेदिल से।
आजकल बहुत चर्चा में है। राजनितक चर्चा का विषय बना हुआ है।
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