बुधवार, 30 जनवरी 2008

माई बेस्ट फ्रैंड मर्डर...

माई बेस्ट फ्रैंड मर्डर। यह नाम किसी फिल्म का नहीं बल्कि वह सच्ची कहानी है जिसे सुनकर एक बार तो दिल्ली पुलिस को भी इसकी सच्चाई पर यकीन नहीं हुआ। वो इसलिये कि एक दोस्त ने अपने ही हाथों से अपने बेस्ट फ्रैंड की जान ले ली। खास बात यह है कि यह सब अचानक नहीं हुआ, बल्कि पूरी तरह सोच-समझकर हुआ। हां-यह अलग बात है कि मर्डर करने वाले का मकसद मर्डर नहीं मनी था। राधेश्याम नाम के इस शख्स के हाथ में मौजूद यह तस्वीर गवाह है उन खुशनुमा लम्हों की जो कभी इसके बेटे धर्मेंद्र (तस्वीर में दायें) ने अपने दोस्त पिंटू के साथ गुजारे थे। लेकिन अब इस खूबसूरत तस्वीर का रुख उलट चुका है। पिंटू और धर्मेंद्र एक दूसरे से हमेशा के लिये जुदा हो चुके हैं। 12 बरस का धर्मेंद्र अब इस...

सोमवार, 28 जनवरी 2008

पेश-ए-खिदमत है आज की सनसनीखेज खबर

अचानक दिमाग में खयाल आया कि अगर देश में अपराध खत्म हो जाएं तो क्या होगा। खबरिया चैनल में काम करता हूं तो सबसे पहले उसी के बारे में सोचने लगा। सोचा तो काफी कुछ सोच डाला। परेशान भी हो गया। आप भी पढ़िये हमारे खाली दिमाग ने आज क्या सोचा। बुलेटिन शुरू हुआ। एंकर सामने आई। मुस्कुराई और बोली...नमस्कार..मैं हूं दीपशिखा और आप देख रहें हैं हमारा चैनल...खबरिया। पेश हैं आज की खबरें। आज की सबसे बड़ी खबर है देश से अपराध का खात्मा। जी हां यह सच है। हमारी यह सनसनीखेज और एक्सक्लूसिव खबर सुनकर आप चौंक गये न? खबर ही ऐसी है। ऐसा कैसे हुआ, यह तो फिलहाल हम भी नहीं जानते लेकिन यकीन मानिये ऐसा ही हुआ है। इसका यह मतलब कतई नहीं कि हमारे देश की पुलिस बड़ी मुस्तैद हो गई...

गुरुवार, 24 जनवरी 2008

मेरा बेटा मुजरिम कर दे या अल्ला...

आमतौर पर देखने में आता है कि कोई भी ये नहीं चाहते कि उनके घर का कोई मेंबर क्रिमिनल कहलाये। गलत राह पर कदम बढ़ाये, लेकिन ब्रजेश की कहानी बिल्कुल अलग है। ब्रजेश के घरवाले ब्रजेश को सही बताते हैं और पुलिस को गलत। दुनिया की नजर में भले ही ब्रजेश सिंह माफिया सरगना है, खतरनाक अपराधी है, लेकिन अपने परिवारवालों में ब्रजेश की हैसियत किसी मसीहा से कम नहीं है। ब्रजेश का परिवार आज जिस मुकाम पर है उसमें डॉन ब्रजेश का बड़ा हाथ है। सियासत हो या बिजनेस हर जगह ब्रजेश सिंह का रसूख और दबदबा उसके परिवार के काम आया। यही वजह है कि ब्रजेश के भाई और उत्तर प्रदेश के विधायक उदयभान उर्फ चुलबुल सिंह कहते हैं ब्रजेश को गलत तरीके से फंसाया गया...

जेल की सलाखों को तुम्हारा ही इंतजार था ब्रजेश !

कुछ लोग मजबूरन गुनाह करते हैं और कुछ लोग जानबूझकर। जानबूझकर गुनाह करने वाला हर इंसान यह अच्छी तरह जानता है कि उसकी आखिरी मंजिल जेल की सलाखें ही हैं। इसके बावजूद रातोंरात दौलत और रसूख की चाह लोगों को गुनाह की दुनिया अपनी तरफ खींच ही लेती है। कुछ ऐसी ही है उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया की दास्तां। नाम है ब्रजेश सिंह। पहले शराब माफिया फिर कोल माफिया और अब ड्रग माफिया...ब्रजेश सिंह ने जहां भी हाथ आजमाया वहीं कामयाबी उसके कदम चूमने लगी। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि ब्रजेश सिंह ये अच्छी तरह समझ चुका था कि सियासी गलियों में कदम जमाकर वो सब कुछ आसानी से हासिल किया जा सकता है, जो वह हासिल करना चाहता है। बस इसी सूत्र वाक्य पर चलकर वह बन गया उत्तर-प्रदेश का...

शनिवार, 19 जनवरी 2008

क्या होगा नैनो आने के बाद...

कल्पना की भी कोई सीमा नहीं होती। अगर कोई कलाकार, साहित्यकार, पत्रकार या फिर चित्रकार अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाना शुरू कर दे तो जाहिर है परिणाम बेहद रुचिकर और असरकारक होगा। ईमेल के जरिये एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर का सफर कर रही किसी की ये परिकल्पना भी बेहद रूचिकर है। साभार मैं इसे अपने ब्लाग पर पेश कर रहा हूं। आप भी देखिये-पढ़िये और इसे प्रस्तुत करने वाले का उत्साहवर्धन कीजि...

शनिवार, 12 जनवरी 2008

आरती श्री गूगल महाराज की

दोस्तों, मुझे नहीं मालूम की इस आरती का लेखक कौन है। यह आरती मुझे ईमेल से मिली। जिसने भी इसे लिखा है वह बधाई का पात्र है। यह रचना दूसरों तक भी पहुंचे, इसीलिये इसे मैं साभार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। पढ़िये और टिप्पणी कर उस अनाम लेखक का उत्साहवर्धन कीजि...

बुधवार, 9 जनवरी 2008

Stay with us...

(एक समाचार पत्र से साभ...
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