शुक्रवार, 2 नवंबर 2007

यहां क्लिक करने की गलती न करें !

अरे नहीं। मना किया था फिर भी आप नहीं माने। जनाब यह सिर्फ टेस्ट पोस्ट है। यहां आपके पढ़ने के लिये कुछ नहीं है। दरअसल, बहुत दिनों से कुछ लिख नहीं पाया। इसलिये सोचा कि जरा चेक करके देखता हूं सारे एग्रीगेटर ठीक-ठाक काम कर रहे हैं या नहीं। अगर आपने कुछ पढ़ने के चक्कर में यहां क्लिक कर दिया तो जाहिर है आपको निराशा ही हाथ लगी होगी। छमा प्रार्थी हूं।

3 comments:

Udan Tashtari ने कहा…

टेस्टिंग हो गई हो सफल तो लिखना शुरु किया जाये, रविन्द्र भाई. :)

मीनाक्षी ने कहा…

मानव स्वभाव से अनोखा है,जिस काम को करने से रोका जाए उसे ही करता है . उत्सुकतावश की गई गलती से लाभ ही हुआ. आपकी जुलाई की बचपन से अनकही जैसी उतम रचनाएँ पढ़ने का अवसर मिला. बहुत सुन्दर रचनाएँ

Asha Joglekar ने कहा…

अब गलती तो हो ही गई । पर पुरानी रचनाएँ पढ लीं । आपका परिचय देती हुई कविता अच्छी लगी।

 
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