नारद में और भगदड़ डॉट ब्लाग पर मेरी रचना आपरेशन सुंदरी-लाइव फ्रॉम झंडूपुरा के संबंध में टिप्पणी पढ़कर सचमुच मुझे बेहद अफसोस हुआ। खैर इससे टीम की मानसिकता का पता तो चल ही गया। टीम में शामिल लोग यह मानकर चलते हैं कि पूरी दुनिया में दो लोग एक जैसा नहीं सोच सकते। भाषा भी ऐसी है कि जैसे मैं कोई जबरदस्ती का लेखक हूं और मुझे नेट पर झूठा नाम कमाने का बहुत शौक है। लिहाजा मैंने किसी दूसरे का आयडिया कॉपी करने कहानी लिख डाली और मैं इतना बेवकूफ हूं कि उसे अपने नाम से अपने ब्लाग पर डाल भी दिया। और उनकी नजर इतनी पैनी है कि उन्होंने मुझ रचना चोर को रंगे हाथ धर-दबोचा। अपनी पीठ भी ठोंक डाली। लो भइया देखो हमने कितना बड़ा तीर मार लिया। एक कहानी चोर को पकड़ लिया। वैसे जिसे ये लोग कहानी समझ रहे हैं वह कहानी नहीं यथार्थ है। और यथार्थ से कोई भी परिचित हो सकता है। पहले मैं सोच रहा था कि भैंस के आगे बीन बजाने से क्या...
शुक्रवार, 28 सितंबर 2007
गुरुवार, 27 सितंबर 2007
आपरेशन सुंदरी--लाइव फ्राम झंडूपुरा
मैं हूं अर्चना। ब्रेक के बाद हमारे चैनल में एक बार फिर आपका स्वागत है। अब हम फिर चलते हैं अपने विशेष संवाददाता आकाश के पास। आकाश सुबह से ही मुजफ्फरनगर के झंडूपुरा गांव में मौजूद हैं। जैसा कि आपको मालूम होगा वहां विदेशी नस्ल की एक भैंस तड़के एक गड्ढे में गिर गई थी। इस खबर को सबसे पहले ब्रेक किया था हमारे संवाददाता आकाश ने। आकाश सुबह से ही हमें वहां के हालात से रूबरू करा रहे हैं। तो आइये अब आकाश से ही पूछते हैं कि क्या माहौल है झंडूपुरा का। जी, आकाश बताइये...आठ घंटे पहले जो भैंस गड्ढे में गिरी थी अब उसकी हालत कैसी है? रिपोर्टर-अर्चना, सबसे पहले तो मैं बता दूं कि सुंदरी नाम की ये भैंस सुबह घास चरते वक्त वहां बने एक गहरे गड्ढे में जा गिरी। इस बात का पता लोगों को तब लगा जब उस गहरे गड्ढे के आसपास से गुजरने वालो ने भैंस के जोर-जोर से रंभाने की आवाज सुनी। भैंस की जान खतरे में है यह खबर पूरे गांव में...
शनिवार, 15 सितंबर 2007
हां, मैं भूत को जानता हूं !
मैंने कभी भूत को नहीं देखामैं भूत को देखना चाहता हूंमैंने भूतों के बारे में बहुत कुछ सुना हैमेरी नानी कहती थींभूत देखने में डरावना होता हैउसकी कोई आकृति नहीं होतीकोई निश्चित आकार भी नहीं होताफिर भी लोग उससे डरते हैंवह लोगों को डराता हैलेकिन क्यों?यह मेरी नानी भी नहीं जानतींवह कहती थीं...जब कोई इंसान बेमौत मर जाता हैतो भूत बन जाता हैवह भूत बनकर भटकता रहता हैमुक्ति की तलाश मेंअब मेरी नानी इस जहां में नहीं हैंमुझे उनकी सारी कहानियां याद हैंवह कहानियां जिन्हें सुनकरमेरे रोंगटे खड़े हो जाते थेमैं डरकर उनकी गोद में दुबक जाता थाउन कहानियों मेंएक से बढ़कर एकभूत, राक्षस और दानव होते थेउनके पास सारी शक्तियां होती थींअब मैं बड़ा और समझदार हो गया हूंलेकिन अब भी सुनना चाहता हूंभूतों की कहानियांअब मेरी नानी नहीं हैंफिर भी...मैं भूतों से आये दिन रूबरू होता हूंजब भी दिल करता हैभूतों के बारे में जानने काफौरन...