
इंटरनेट पर कुछ सर्च कर रहा था तभी अचानक कुछ ऐसा मिला जिसे देखकर अचरज में पड़ गया। निगाह वहीं पर अटक गई। पहली बार तो यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। मुझे याद है कि ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर में एक ब्लॉगर ने मुझ पर किसी दूसरे का आयडिया चुराने का आरोप लगाया था। इस आरोप ने मुझे बेहद खिन्न कर दिया था। मैंने ना सिर्फ आरोपों का जवाब दिया बल्कि उनके इल्जामों को झूठा भी साबित किया। मैं तब भी यही सोचता था कि इंटरनेट पर जहां कही भी किसी से कुछ छिपा नहीं है वहां भला कोई ऐसा कैसे कर सकता है। अगर करने की हिमाकत करता भी है तो आज नहीं तो कल वह सबके सामने आ ही जाएगा। यह मेरी सोच थी। लेकिन अब मैं जिन साहब की बात करने जा रहा हूं वह शायद ऐसा नहीं सोचते। तो...