रविवार, 26 अप्रैल 2009

राज ठाकरे के स‌मर्थन में...

कुछ दिन पहले मुझे एक ईमेल प्राप्त हुआ। यह ईमेल मेरे एक अजीज दोस्त ने भेजा था। फारवर्डेड मेल था लिहाजा यह नहीं पता चल पाया कि इसका जनक कौन है। लेकिन यह जरूर बताना चाहूंगा कि जिस दोस्त ने मुझे यह मेल भेजा वह मराठी है। मेल अंग्रेजी में था। मेरा ब्लॉग हिंदी में है। इसलिए मैंने पूरे मेल को हिंदी में हूबहू ट्रांसलेट करने की कोशिश की है। ईमेल इस प्रकार है....अगर आप राज ठाकरे के स‌मर्थक हैं तो कृपया निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें...1. अगर आपका बच्चा मेहनत के बावजूद क्लास में फर्स्ट नहीं आ पाता तो उसे स‌िखाइये कि ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं। बल्कि जो बच्चा पढ़ने में तुमसे तेज है उसे पीटो और क्लास स‌े बाहर कर दो। तुम अपने आप फर्स्ट हो जाओगे। 2. स‌ंस‌द...

शनिवार, 18 अप्रैल 2009

इधर स‌े गुजरा था स‌ोचा स‌लाम करता चलूं...

चुनाव के मौसम पर गर्मी का मौसम भारी पड़ने लगा है। मतदान की तारीख तेजी स‌े नजदीक आती जा रही है, लेकिन चुनाव प्रचार उतनी गति नहीं पकड़ रहा है। वजह, मौस‌म की मार। हिम्मत जुटाकर, कार्यकर्ताओं को जोश दिलाकर उम्मीदवार मैदान में निकलते भी हैं तो जनता इतनी 'आलसी' है कि ऎसी चिलचिलाती गर्मी में घर स‌े बाहर ही नहीं निकलना चाहती। लिहाजा जनसभाओं में भीड़ जुटे भी तो कैसे? बड़ी मुसीबत है। जनसभा में भीड़ न जुटी तो क्या 'मैसेज' जाएगा? विरोधी तो मजाक उड़ाएंगे ही, लोगों को भी लगेगा कि इन जनाब के पक्ष में जनसमर्थन नहीं है।भीषण गर्मी की वजह स‌े स‌ब कुछ ठंडा है। तो क्या करें? किसी कार्यकर्ता ने स‌ुझाया कि पब्लिक नहीं आ रही तो क्या हुआ, क्यों न हम ही पब्लिक के पास...
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