सोमवार, 31 दिसंबर 2007

जो आने वाले हैं दिन उन्हें शुमार में रख...

देखते ही देखते एक साल और गुजर गया. अगर मुश्किल में गुजरें तो एक-एक पल गुजारना मुश्किल होता है. यहां तो 365 दिन गुजर गये. सोचकर अजीब लगता है. ये दिन, महीने, साल कैसे गुजर जाते हैं. इसी का नाम तो जिंदगी है. जिंदगी का कोई लम्हा बहुत ही खुशगवार बन जाता है. कोई लम्हा यादगार बन जाता है तो कोई कभी न भूलने वाला डरावना सपना भी. जो गुजर गया वो गुजर गया. जो याद रखने लायक नहीं है उसे भूल जाना ही ठीक है. खैर मैं तो उन बातो का जिक्र करना चाहूंगा जिन्हें मैं हमेशा याद रखना चाहूंगा. पाना-खोना तो लगा ही रहता है. इस साल मैंने भी बहुत कुछ पाया. इसी साल मैं आरकुट से भी रूबरू हुआ। इसके जरिये वाकई मुझे अपने कई पुराने दोस्त मिल गये। बिछड़े दोस्तों को मिलाने वाली ये...
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