शुक्रवार, 29 जून 2007

क्षणिका

(1)
वह अपने दिल पर
पत्थर रख कर सो गया
ये सोचकर
कि कहीँ
ज़ज्बात की आंधी आये
और...
उसे उडा ना ले जाये।
(2)
वो मिटा दें अपने वजूद को
ये उनकी मरजी है
रहते हैं आँधियों में
और...
हवा से एलर्जी है।
(3)
ख्वाब को उस शख्स ने
हक़ीक़त में बदल दिया
तारों को तोड़ लाया
और ...चांद पर घर लिया.(1999)

गुरुवार, 28 जून 2007

चार लाईना

जब रोज-रोज उनसे होती मुलाकातें थीं
तब कहने को दिल में कुछ रहती नहीं बातें थीं
अब कहने को उनसे कितनी ही बातें हैं
लेकिन अब नहीं होती मुलाकातें हैं. (1995)

क्रिकेट का बुखार

अम्पायर मैदान में
दौडा-दौडा आया
फिर झटपट
पिच पर उसने
स्टंप लगाया।
लो हो गया तैयार विकेट
अब खेला जायेगा क्रिकेट।

दो बल्लेबाज़
जो दिखते थे उस्ताद
बैट लेकर दौड़ते आये।
किस्मत पर अपनी इतराए
एक ने आकर बैट जमाया
दूजा रनर बनकर आया।

गेंदबाज
गेंद लेकर घिसता आया
अपनी की रफ्तार तेज़
गेंद दी तेज़ी से फ़ेंक

बल्लेबाज़ संभला
घुमाया बल्ला मारा छक्का
गेंदबाज यह देखकर
गया हक्का-बक्का।
तब, दर्शक दीर्घा से
तालियों की आवाज आयी
गेंद की होने लगी धुनाई
देखते ही देखते
स्कोर बोर्ड पर
रनों का अम्बार हो गया
दर्शक बैठे खुश होते थे
क्रिकेट का दीदार हो गया।

जिधर भी देखो क्रिकेट-क्रिकेट
क्रिकेट का बुखार हो गया
क्रिकेट चाहे जिस दिन भी हो
वह दिन तो इतवार हो गया.(1994)

अजीब पहेली है

ज़ुरासिक पार्क में दो ड़ायनासोर
आपस में करते थे बातचीत
भाई, आज के आदमी के भी क्या कहने
जो प्रगति के नाम पर
पर्यावरण प्रदूषित कर
जंगलों को काटकर
वर्तमान में जीवित प्राणियों के
अस्तित्त्व को मिटाता है
वहीँ अतीत में...
विलुप्त हो चुके प्राणियों का
तरह-तरह से अनुसंधान कर
उन्हें जीवित करने का प्रयास करता है
तो कभी उनकी अस्थियाँ खोजकर
उनका आकार बनता है
जीवित पर अत्याचार
और विलुप्त पर इतना प्यार
ये कैसे अजीब पहेली है
हम ड़ायनासोर की तो
कुछ समझ में नहीं आता है।(1994)

 
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